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गीत(मत तड़पाओ)

गीत(मत तड़पाओ)
बहुत हुए दिन तुमको देखे,
मत तड़पाओ आ जाओ।
कर श्रंगार सोलहो बैठी,
अब अपना लो आ जाओ।।

सावन आया बरस गया वह,
हृदय-उष्णता गई नहीं।
फागुन का भी होगा आना,
विरह-अगन में कमी नहीं।
कैसे इसे बुझाऊँ मैं अब?
मत शर्माओ आ जाओ।।
      मत तड़पाओ आ जाओ।।

विरह-वेदना-पीड़ा सहना,
केवल विरहन ही जाने।
तड़प-तड़प कर दिवस गुजारे,
सत्य इसे तो विरही माने।
यह बंधन होता अति अनुपम,
मत उलझाओ आ जाओ।।
       मत तड़पाओ आ जाओ।।

भ्रमण कहीं भी कर लो प्यारे,
 मुझे वहीं तुम पाओगे।
प्रेमी-बंधन अजर-अमर है,
इसे तोड़ पछताओगे।
इसे तोड़ना होता मुश्किल,
मत घबराओ आ जाओ।।
      मत तड़पाओ आ जाओ।।

मिलन दिलों का पावन होता,
भले ज़माना बाधक है।
सच्चा प्रेमी आकर मिलता,
वह तो सच्चा साधक है।
प्रेम-गीत है भजन-साधना,
खुलकर गाओ आ जाओ।।
      मत तड़पाओ आ जाओ।।
                 ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                   9919446372

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2 Comments

वानी

25-May-2023 10:55 AM

Bahut khoob

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बहुत सुंदर

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